
રવિવાર, 29 નવેમ્બર, 2015
અદભુત છે આ પ્રણયની વાતો

कभी हमें अपना बना लिया करो

आओ मिलके जश्न मनाते है
आयी जो उनकी याद तो

मुझे तुम प्यार बेशुमार करते हो
कभी इकरार करते हो, कभी इन्कार करते हो,
मगर यकीं है तुम, मुझसे ही प्यार करते हो,
कभी आँखों में आसु, कभी रुख पे तबस्सुम है ,
अपनी हर अदाओं से, मेरा जीना दुस्वार करते हो,
कभी ख़ामोशी ओढ़े हो, कभी बेसबब बतियाना ,
खबर मुझको है, तुम हम पे जाँ निसार करते हो,
अदावत है या कहे वफ़ा, हम तो कायल है तेरे ,
नश्तर से नहीं, तुम तो नजरों से वार करते हो,
कभी रुठ के, फिर तेरा यूँ यकायक मान जाना,
जताता है की, मुझे तुम प्यार बेशुमार करते हो !!
नीशीत जोशी 16.11.15
वो समझे हम दिवाने है
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कर ली हमने जो हँस के बात, वो समझे हम दिवाने है,
कर ली हमने जो मुलाकात ,वो समझे हम दिवाने है,
दे दी हमने थोडी ज्यादा तव्वज़ो,यही गलती थी शायद,
भूलायी जो अपनी औकात, वो समझे हम दिवाने है,
सुना है दोस्त के दोस्त, अपने भी दोस्त होते है,
उन्ही से जित के खायी मात, वो समझे हम दिवाने है,
रह न पाये खामोश, जब बैठे थे मुहिब्ब साथ में,
काटी जो गुफ्तगू में रात, वो समझे हम दिवाने है,
सुनते रहे वह और हम सुनाते रहे, दिल की दास्ताँ,
उठे जाने कितने सवालात, वो समझे हम दिवाने है !
नीशीत जोशी 06.11.15
બુધવાર, 4 નવેમ્બર, 2015
કેમ છીએ અમે

हमारे दरमीयां अब भी, थोडा प्यार तो बचा होगा

सभी मेरे अपने थे

इश्क की किताब दे

प्यार हो जायेगा

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