રવિવાર, 28 ઑગસ્ટ, 2016
अंधेरो को मिटा कर देखते है
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अंधेरो को मिटा कर देखते है,
चरागो को जला कर देखते है,
मुकम्मल हो सफर कोई तो अब भी,
कदम अपने बढा कर देखते है,
मुहब्बत में संभलते होंगे ही वो,
उसीको आजमा कर देखते है,
गिरे को भी उठाना फर्ज़ है तो,
किसीको अब उठा कर देखते है,
किताबों की जरूरत है किसे अब,
चलो दिल को पढा कर देखतें है,
बुतो को जब खुदा माना यहाँ तो,
खुदा तुम को बना कर देखते है,
चलो अब 'नीर' रूठे को मना कर,
दिलों से दिल मिला कर देखते है !
नीशीत जोशी 'नीर' 27.08.16
સૌ મિત્રો ને જન્માષ્ટમીની હાર્દિક શુભેચ્છા....
સૌ મિત્રો ને જન્માષ્ટમીની હાર્દિક શુભેચ્છા....
જય શ્રી કૃષ્ણ....
વરસો આજ વરસાદ બની,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
ખાવ ખવડાવો મિસરી હજી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
રમો રાસ આનંદવિભોર થઇ,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
સર્વસ્વ ગોકુળમથુરા સમજી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
મનડાને વનરાવન બનવી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
તરબોળ થઇ પ્રેમ સૌને વહેંચી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી,
લાલાનો કરો જય ઘોષ વળી,
કાન્હાનો જન્મદિન છે વળી.
નીશીત જોશી
દિવસ આવશે જરૂર
લાગલાલા લાગલાલા ગલાગલા
રાત જાશે ને, દિવસ આવશે જરૂર,
દુ:ખ લૈ ને, સુખ પછી લાવશે જરૂર,
કોણ કોના મારફત, સોપાન બાંધશે,
સાથ એ ભગવાન પણ, આપશે જરૂર,
કેમ લાગે રાત, અંધારપટ હવે,
દીપ કોઈ પ્રગટાવી, જશે જરૂર,
લાગશે હેરાન થૈ જાશું, એમ તો,
આવશે એ, સારું ત્યાં લાગશે જરૂર,
જોજનો છો’ દૂર લાગે, પરંતુ છે,
રાખજો વિશ્વાસ, એ આવશે જરૂર.
નિશીથ જોશી 23.08.16
यहां हैं औरतेँ हयबत
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खबर नासाद, मुद्दत से कहाँ कोई बिशारत है,
यहां हैं औरतेँ हयबत, कहाँ कोई हिफाजत है,
न कोई वास्ता अब है, मुहब्बत से किसी को भी,
दिलो में सिर्फ है नफरत, रखी मुंह में शिकायत है,
मुहाली इस कदर छाई, कि मुश्किल हो गया जीना,
है महँगाई भी जोरों पे, क़यामत की ये दावत है,
कहीं डाका पड़ा है तो, कहीं इज़्ज़त हुई रुसवा,
कि अब अखबार भी तो, बस पढ़ाता ये हिकायत है,
अगर है आसमाँ को, कुछ घमण्ड अपनी अना पे तो,
हमें भी आसमानों को, जमीं करने की आदत है !
नीशीत जोशी
(बिशारत=good news, हयबत=panic, हिकायत=story, अना=ego)
घमण्ड अपनी (घमण्डपनी) 21.08.16
तुझे ही जमाने में, अपना देखा
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तुझे ही जमाने में, अपना देखा,
तेरा सिर्फ अपनो में, सपना देखा,
तेरे ही करिश्मे, अभी बरकरार है,
समंदर में सँगो का, बहना देखा,
कई हो गये, जन्म से ही अनाथ,
बिना माँ के, बच्चो का पलना देखा,
हवा गर चले, आ भी जाए तूफाँ,
चिरागो का ऐसे में, जलना देखा,
वो जीना, वो मरना, सभी तू जाने,
तेरे नाम में ही, वो बसना देखा !
नीशीत जोशी 18.08.16
રવિવાર, 14 ઑગસ્ટ, 2016
कहाँ कहाँ
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उनकी पुकार को लिए, निकला कहाँ कहाँ,
कहने खुदा उसे फिर, अटका कहाँ कहाँ,
यादें रही तेरी, वह दिल में उतार दी,
मैं तेरी आरजू लिए, भटका कहाँ कहाँ,
कम तो नहीं हुई, बहते अश्क की सजा,
मैं रोकने उसे, फिर छुपता कहाँ कहाँ,
जीने नहीं दिया, मरने भी नहीं दिया,
ले कर वो झख्म मैं, अब फिरता कहाँ कहाँ,
फुर्कत कभी तो, वस्ल कभी है मेरी यहाँ,
ये हादसे के दर्द को, भरता कहाँ कहाँ !
नीशीत जोशी 13.08.16
दिल की बस्ती अजीब बस्ती है
રવિવાર, 7 ઑગસ્ટ, 2016
ये जरूरी तो नही है
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तेरे दिल को चुरा लूँ, ये जरूरी तो नहीं है,
ज़िया कोई बुझा दूँ, ये जरूरी तो नहीं है,
कहेंगे लोग मुझको, फिर करेंगे मज़म्मत,
उन्हे भी कुछ सुनाऊँ, ये जरूरी तो नहीं है,
बढाकर फासला अपना बनाया है तुम्हीने,
तुम्हे अपना बुलाऊँ, ये जरूरी तो नही है,
बचा लेना मुझे तुम, गर गिरे भी हम कहीं पे,
पराये को पुकारूँ, ये जरूरी तो नही है,
मेरे हो तुम, मेरे ही सामने रहना सदा तुम,
मुहब्बत दोहरादूँ, ये जरूरी तो नही है !
नीशीत जोशी
(ज़िया=light,मज़म्मत=blaim) 03.08.16
મનાવું છું તને, પણ વાર લાગે છે
લગાગાગા લગાગાગા લગાગાગા
મનાવું છું તને, પણ વાર લાગે છે,
ન માને તું અગર, તો હાર લાગે છે,
મહોબતના તને, પરમાણ શું આપું ?
હવે શૈયાય જાણે, ખાર લાગે છે,
અરે, આ મૌનની ભાષા, નિરાલી હોં!
વગર બોલ્યે નજર, ધારધાર લાગે છે,
હૃદયમાં, પ્રેમની મીઠાસ જો રાખો,
મીઠો સંસારનો, કંસાર લાગે છે,
દિલાસા આપનારાં, લાખ મળશે,
ખરેખર કાપતી, તલવાર લાગે છે,
પ્રથા છે એમની, તોડી કસમ ચાલ્યાં,
અહમ પણ એમનો, હદ પાર લાગે છે,
ધરો ઇલ્ઝામ અમને, બેવફાઈનો,
તમારી ખીજનો, અણસાર લાગે છે,
થઈ છે હાશ દિલમાં, એ ગયા માની,
ઉનાળા છે છતાં, પણ ઠાર લાગે છે .
નીશીત જોશી 31.07.16
हर मुज़ामत को हम पार कर लेंगे
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हर मुज़ामत को हम पार कर लेंगे,
हर वो इल्जाम खुदी के सर लेंगे,
बह न जाए वो अश्क़ आँखों से,
अश्क़ से हम बहर वो भर लेंगे,
हम फ़क़ीरों के पास अब है क्या,
है वो इक जाँ कहो तो मर लेंगे,
कर तआक़ुब मेरे लिखे खत का,
रब्त हम कासिदों से कर लेंगे,
बुग़्ज़ से याद तुम तो कर लेना,
ज़ख्म हम सीने पर ही धर लेंगे !
नीशीत जोशी
(मुज़ामत=obstruction,बहर=sea,तआक़ुब=follow up,बुग़्ज़=hatred) 27.07.16
तुम्हारा इम्तिहान भी है क्या?
२१२२ २१२२ २१२२ २२
ये मेरा है तो, तुम्हारा इम्तिहान भी है क्या?
वो हमारे दरमियाँ, ये आसमान भी है क्या?
इस शहर में तो, नयी आई लग रही हो तुम,
इस गली में ही, तुम्हारा मकान भी है क्या?
क्यों मुलाक़ात नाम से, तुम डर गयी हो,बोलो,
मुँह में कोई नहीं, उज़्मा जुबान भी है क्या?
प्यार में मुज़्तर बना करके, रखेंगे दिल में,
हाफ़िज़ा में तो रखे, वो खानदान भी है क्या?
दादखा बनके तुम्हे, की इस्तिदा भी मैंने,
हाथ में कोई तेरे दिलकश बयान भी है क्या?
नीशीत जोशी 24.07.16
(उज़्मा= best, मुज़्तर= a lover, हाफ़िज़ा= good memory, दादखा=petitioner, इस्तिदा=petition) 24.07.16
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