देख नम आंखे बेचैन दिल रो उठता है,
रुठे है फिरभी खुदको मनाना पडता है,
सुन रुखी बातो से खामोश थे हम भी,
बंध जुबा को भी युं लब्ज देना पडता है,
कोई खता से नही होते है खफा कभी,
प्यारमे हर बातो को मान लेना पडता है,
उलजना फिर सुलजना प्यारके सरगम,
प्यारके तरन्नुममे खुदको ढालना पडता है,
जरुरत ही नही जताने की प्यारको प्यारे,
एक पुकार पे प्यारको दौडके आना पडता है,
मत सोचो इतना मुरजा जाओगे 'निशित',
प्यार मे हर पल उन्हीका नाम लेना पडता है ।
नीशीत जोशी
રવિવાર, 15 ઑગસ્ટ, 2010
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