શનિવાર, 20 ઑગસ્ટ, 2011

छोड दिया


अब तेरे घर आना छोड दिया,
तुनेभी मेरा अंगना छोड दिया,

कानकी बाली खुल गयी जबसे,
तेरे कानोने सजना छोड दिया,

कंगनभी अब लगने लगे बौने,
हिनाने जब लगना छोड दिया,

गजरे अब मुरजाने लगे बालोमे,
तो केशु ने लहेराना छोड दिया,

बहा होगा दरिया इन नयनोसे,
तबसे काजल लगाना छोड दिया,

गुलाबसी खीली थी लाली होठोपे,
अब होठोने मुश्कुराना छोड दिया,

चहरा अब रहता है उदास नीशीत,
जब तुने साथ नीभाना छोड दिया ।

नीशीत जोशी 15.08.11

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