શનિવાર, 6 ઑગસ્ટ, 2011
कर ना पाओगे
समंन्दरकी गहरायी तक उतर ना पाओगे,
हमारे इस दर्द का अहेसास कर ना पाओगे,
जहां गीरती रोजीन्दा डरावनी बीजलीयां,
ऐसी राह से तुम कभी भी गुजर ना पाओगे,
आंखो में भर रखा है खोफनाक दरिया ऐसा,
ऐसी नीगाहो में तुम कभी ठहर ना पाओगे,
पाश पाश हो गया है नाजुक आयना हमारा,
ऐसे आयना को जोडके नया कर ना पाओगे ।
नीशीत जोशी Mumbai 30/07/11
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો