
समंन्दरकी गहरायी तक उतर ना पाओगे,
हमारे इस दर्द का अहेसास कर ना पाओगे,
जहां गीरती रोजीन्दा डरावनी बीजलीयां,
ऐसी राह से तुम कभी भी गुजर ना पाओगे,
आंखो में भर रखा है खोफनाक दरिया ऐसा,
ऐसी नीगाहो में तुम कभी ठहर ना पाओगे,
पाश पाश हो गया है नाजुक आयना हमारा,
ऐसे आयना को जोडके नया कर ना पाओगे ।
नीशीत जोशी Mumbai 30/07/11
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