શનિવાર, 20 ઑગસ્ટ, 2011
हो सकता है
साथ छुटना कोइ एक भरम भी हो सकता है,
दिल का तुटना कोइ करम भी हो सकता है,
शुकुन तो हुआ दरमीयां आने के बाद गोया,
कुचेमें दफनाना कोइ मरम भी हो सकता है,
मुसीबतमे जब हो नजदीकीया आती है याद,
दर्दीला अहेसास कोइ नरम भी हो सकता है,
नजाकतका हुन्नर किसी फुलोसे सिखा होगा,
नजरे जुका लेना कोइ शरम भी हो सकता है,
लोगोने दिये हो महोब्बतके ताने महेफिलमे,
दिमागी हिस्सा कोइ गरम भी हो सकता है,
आये बारबार याद, दिखे हर जगह हर पल,
चाहनेवाला वोही कोइ सनम भी हो सकता है ।
नीशीत जोशी 19.08.11
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