શનિવાર, 6 ઑગસ્ટ, 2011
निगाहोसे पीने का शोक
न पीने का शोक था न पीलाने का शोक था पर बेहोश हो गये,
कसुर उन कमसीन निगाहोका जीसे देखतेही मदहोश हो गये,
शबाब इस कदर चडा जान-ए-जीगरमें मयकदेसे उठनेके बाद,
पांव न डगमगाये और रस्ता धुंधला दिखतेही बदहोश हो गये,
जुगनुओसे कहा की उगादो नये चांद अंधेरोकी हुकुमतके पहले,
इल्जाम ना लगे मयखानेमें चांदनीसे मीलतेही पुरजोश हो गये,
सितम ओर न कर,पीला पीला के कमजोर न कर साकीया मेरे,
नाम बदनाम करेंगे लोग कहते हुए, देखतेही दिदारेदोश हो गये ।
नीशीत जोशी 17.07.11
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