ગુરુવાર, 29 ડિસેમ્બર, 2011

ये चीराग अब बुजनेको है


अब चाहे कुछ भी कहे जमाना यहां,
नही भुलेगा प्यारका अफसाना यहां,

शमा चाहे जलके बुझभी जाये अगर,
महोब्बत में जलेगा ये परवाना यहां,

चंद्रमा करे इन्तजार चांदनीका वहां,
इन्तजार में जीये बनके दिवाना यहां,

मै भी हूं पागल उनके प्यार में शायद,
सोचता हूं जैसे कोइ हो मस्ताना यहां,

दिदार के इन्तजारमें रहू कतारमे खडा,
परदा हटे तो सीखलु मै मुश्काना यहां,

ये चीराग अब बुजनेको है महफिलमे,
अब तो छोड इस कदर तडपाना यहां ।

नीशीत जोशी 27.11.11

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો