
महक जाये हर चमन जब खील उठते हो तुम,
सजा लेते है हर नग्मे जब बात करते हो तुम,
मंजिल हो जाती है आसान हमराही के संगमें,
पथ्थर बन जाये फुल जब साथ चलते हो तुम,
आसान नही कोई वाकिया को नज्ममें ढालना,
हर लब्ज बने गझल जब समा मे सजते हो तुम,
चांदनी रातकी रंगत भी पडने लगती है फिक्की,
यादोके सायेमें जब गमगीन तन्हा पडते हो तुम,
ऐसे तो हम भी नादां है इस महोब्बत की राहमें,
हुन्नर हमे भी सिखा देना उस्ताद लगते हो तुम...
नीशीत जोशी 22.12.11
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