ગુરુવાર, 29 ડિસેમ્બર, 2011
हम उनसे ...... नही करते
हम उनसे बात करने की शीकायत नही करते,
महोब्बत करनेके बाद फिर बगावत नही करते,
फकिरीमें तो हर कोई आंसु बहा देता है यूं मगर,
क्यों नही कहते की हम कोई इबादत नही करते,
वो लम्हे को चुरा के ले जाना चाहते तो हो,मगर,
फिर ये क्यों कहते हो की हम शरारत नही करते,
हर ख्वाब के रहनूमा बनके आ जाते हो हर रातको,
पर हम तो कोई तुमसे नींद में हीमायत नही करते,
परिंन्दो की तरहा धोसला बना के उड जानेकी अदा,
दर्द सहके भी बयां तेरी दास्ताने फितरत नही करते।
नीशीत जोशी 02.12.11
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