ગુરુવાર, 15 નવેમ્બર, 2012

दिल की बात सुन ही लेंगे

आएगी जो तेरी याद,यादो के सहारे जी लेंगे, छुपा के गम को,सभी के सामने हस भी लेंगे, बह भी जाएगा जो दरिया उन आँखों से गर, उल्फत में अपनी आँखोंके अश्क को पी लेंगे, अकले गुनगुनायेंगे दास्ताँ-ए-मुहब्बत अपनी, मिली उस तन्हाई में लगे जख्मो को सी लेंगे, निकलगे तेरी गलियों से लड़खड़ाते हुए हम, दिल के हर टुकड़े को करीब से देख भी लेंगे, ये दिमाग गुफ्तगू करता रहेगा दिल से अगर, मुहब्बत के आका, दिल की बात सुन ही लेंगे ! नीशीत जोशी 29.10.12

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