ગુરુવાર, 15 નવેમ્બર, 2012

महबूब

बदल रहा है मौसम की मेरा महबूब आने वाला है, बाग़ भी आज फूलो का गुलदस्ता सजाने वाला है, मुद्दत से करते थे इन्तजार जिस पल के लिए हम, आज मेरी तकदीर का पन्ना महबूब पाने वाला है, चाँद को भी आज छुप जाना पड़ सकता है कहीं पे, आके मेरा महबूब आज चाँद को शरमाने वाला है, खरोच ना लगे, ऐ हवा! जरा आहिस्ता से लहेराना, मेरा महबूब तेरी ही वादियों में आज नहाने वाला है, सुनी महेफिल भी आज रोशन हो जायेगी बाबस्ता, मुझे ढूंढ़ने मेरा महबूब उस महेफिलमें जाने वाला है ! नीशीत जोशी 30.10.12

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