શનિવાર, 24 નવેમ્બર, 2012

तेरे आने का पैग़ाम अब लायेगा कौन ?

तेरे आने का पैग़ाम अब लायेगा कौन ? अंजुमन में आफ़ताब दिखायेगा कौन ? मियाद पूरी होने पे ही ठिकाने पहुंचेंगे , अधूरे ख्व़ाब की अधूरी राह जायेगा कौन ? ज़मीं के हो कर रह जायेंगे ज़मीं पर ही, वो अर्श-ओ-फ़र्श का फ़र्क बतायेगा कौन ? फँसी कश्ती निकल आये जो इत्तेला मिले, अब बिन पतवार कश्ती को बचायेगा कौन ? ज़िन्दगी की किताब के पन्ने कोरे रह गए, अब ख़ून भरी कलम से लिखवायेगा कौन ? नीशीत जोशी 21.11.12

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