
શનિવાર, 24 ઑગસ્ટ, 2013
मुझ पर न नजर है न मेरे अश्क की कदर

યાદ આવ્યા'તા તમે

तुम सभी के आँख के तारे हो

શનિવાર, 17 ઑગસ્ટ, 2013
ग़ज़ल वो मेरी होगी उसमे नाम तेरा होगा

महेंगाई का डर स्वतंत्रता को डराता है

गर चाँद नहीं आसमाँ में तो फलक नहीं

क्या हो जाता अगर वह मेरा हो जाता

आंसू की जुबानी

दीदार के बाद अकेली तू कैसे जी पायेगी??

શનિવાર, 10 ઑગસ્ટ, 2013
એ ભુલાય છે

तेरे सिवा कोई न करेगा आबाद मुझे !

रो रो के ये दिल भी शोर मचाता है

इन फिज़ा में पीने का मजा कुछ और है

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