
શનિવાર, 25 જાન્યુઆરી, 2014
चहेरा पहले से, नक़ाब में, छूपा होता

तसव्वुर, तुझे अब जाना होगा

પાંખો ફેલાવી ઉડી જઈશું

શનિવાર, 18 જાન્યુઆરી, 2014
चलो उस रक़ीब को दोस्त बनाया जाय

उसे निस्तार चाहिए था, दस्ताना चाहिए था

जख्म को खुरच कर उसे ताज़ा रखते है

શનિવાર, 11 જાન્યુઆરી, 2014
शायद तेरी होगी

સમજી શક્યા નહિ તેમને

मयखाना

શનિવાર, 4 જાન્યુઆરી, 2014
कुछ कदम हम अपनी मर्जी से चले है

આવજે તું

new year

इस मिटटी के बदन को, अब मिटटी खा जाए

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