
टूट जाता है आयना भी तेरे ज़ुहूर के आगे,
शरमा जाते है कलाकार तेरे उबूर के आगे,
लगाए कौन सा रंग होली पर तेरे चहरे पे,
हर रंग फिक्का लगता है तेरे नूर के आगे,
फरिस्ते संभाल रखते है नियत को अपनी,
बेचैन हो जाता है दिल तुझ सी हूर के आगे,
डाल के तिरछी नजरें घायल करते हो तुम,
आशिक़ गुनहगार बने तेरे कुसूर के आगे,
कुदरत का अनमोल नजराना हो तुर्बत में,
कलंदर सलामी देते है तेरे गुरूर के आगे !!!!
नीशीत जोशी
(उबूर=प्रविणता, ज़ुहूर=appearance) 17.03.14
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