રવિવાર, 2 માર્ચ, 2014

जरा ठहर जाओ

euphemia_and_suzaku__please__dont_go____by_shunrikkahime-d4n41kk न करो जाने कि ज़िद, जरा ठहर जाओ, निभायेंगे मुहब्बत नित, जरा ठहर जाओ, मिलन कि प्यास अभी बुझी नहीं है मेरी, तड़पता रहेगा ये दिल, जरा ठहर जाओ, न सह पायेगे हम इश्क़ में हिजरत तेरी न जी पाएंगे तुझ बिन, जरा ठहर जाओ, दिल बहलाने का हुन्नर मुझे सिखा देना, कैसे काटे रात और दिन,जरा ठहर जाओ, मिल जायेंगे चाहने वाले तुझे यहाँ बहुत, मुझसा न मिलेगा फिर, जरा ठहर जाओ !!!! नीशीत जोशी 28.02.14

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