ओस के बूंदो की जब जब चमक पड़े !
प्यार की जहन में तब तब कसक पड़े !!
आसमाँ में जब छाये हो बर्षा के बादल !
बारिस के पहले तेरी अक्स ज़लक पड़े !!
कागज़ पर कुछ लिखने बैठे जब हम !
कलम के पहले मेरे वो अश्क़ सरक पड़े !!
काबू में ना रहा दिल तेरा नाम सुन के !
जज्बात तो दूर ये अल्फाज बहक पड़े !!
दूर रहना तुझसे इतना तो मुहाल हुआ !
तसव्वुर में तुझे देख ये दिल धड़क पड़े !!
नीशीत जोशी 12.08.14
શનિવાર, 16 ઑગસ્ટ, 2014
कलम के पहले मेरे वो अश्क़ सरक पड़े
ओस के बूंदो की जब जब चमक पड़े !
प्यार की जहन में तब तब कसक पड़े !!
आसमाँ में जब छाये हो बर्षा के बादल !
बारिस के पहले तेरी अक्स ज़लक पड़े !!
कागज़ पर कुछ लिखने बैठे जब हम !
कलम के पहले मेरे वो अश्क़ सरक पड़े !!
काबू में ना रहा दिल तेरा नाम सुन के !
जज्बात तो दूर ये अल्फाज बहक पड़े !!
दूर रहना तुझसे इतना तो मुहाल हुआ !
तसव्वुर में तुझे देख ये दिल धड़क पड़े !!
नीशीत जोशी 12.08.14
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