શનિવાર, 16 ઑગસ્ટ, 2014
कलम के पहले मेरे वो अश्क़ सरक पड़े
ओस के बूंदो की जब जब चमक पड़े !
प्यार की जहन में तब तब कसक पड़े !!
आसमाँ में जब छाये हो बर्षा के बादल !
बारिस के पहले तेरी अक्स ज़लक पड़े !!
कागज़ पर कुछ लिखने बैठे जब हम !
कलम के पहले मेरे वो अश्क़ सरक पड़े !!
काबू में ना रहा दिल तेरा नाम सुन के !
जज्बात तो दूर ये अल्फाज बहक पड़े !!
दूर रहना तुझसे इतना तो मुहाल हुआ !
तसव्वुर में तुझे देख ये दिल धड़क पड़े !!
नीशीत जोशी 12.08.14
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