શનિવાર, 9 ઑગસ્ટ, 2014

मेरे महबूब को खबर देना

fantasygir_S3yPZ3OW बनके क़ासिद, मेरे महबूब को खबर देना, खुश हूँ मैं, मगर मेरे क़फ़स पे नजर देना, निकाल पाओ तो, निकाल के नजात दिलाना, वरना, मुझे जिंदगी का आखरी सफर देना, भटक गए हैं राह से, बिना हमराही के हम, तेरी ही, उम्मीदों के, आशियाने में बसर देना, खामोश रह के, बेपायां प्यार करते रहे हम, समजा सके वही, वो खामोशी को असर देना, दम घूँटता है, अब अकेले, तेरे इन्तजार में, इजाबत करके, मिलन का एक पहर देना !!!! नीशीत जोशी (इजाबत= reply) 07.08.14

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