રવિવાર, 9 મે, 2010

पहॉच गये कब्र पर

वादा तो किया पर निभाया नही आपने,
हम ईन्तजार करते करते पहोंच गये कब्र पर,

यह तो गनीमत है याद तो आया आपको,
हमारे लिये गुलदस्ता ले कर तो, पहोच गये कब्र पर,

फुलो से है दोस्ती इसलीये देख उठ पडेगे,
बहलाके मनको रकीब बनना पडेगा, जो आंसु पड गये कब्र पर,

गुमसुदा जीन्दगी बसर की है यादोमे सिर्फ,
मरने के बाद शायद आये आपको याद, सोच यही पहॉच गये कब्र पर ।

नीशीत जोशी

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