બુધવાર, 12 જાન્યુઆરી, 2011

मुजे याद आया

किताबो मे रखा हुआ एक गुलाब मुजे याद आया,
हमे तेरे साथ बिताया हुआ लम्हा मुजे याद आया,
वो पत्तो के बीच छुपाया था चहेरा शरमसे तुने,
तेरा निगाहे जुका के मुश्कुराना मुजे याद आया,
कैसी कटी थी विरह राते, सपने देखे थे सुहाने,
छोटी छोटी बातो को कहेना तेरा मुजे याद आया,
साम के वक्त तेरा खीडकी पे इन्तजार करना,
दबे दबे पांव मेरे करीब आ जाना मुजे याद आया,
गुलाब भले ही गया हो सुक, किताबमे मौजुद है,
चले गये वो लम्हे मगर तेरा साथ मुजे याद आया ।
नीशीत जोशी

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