समय किसी के कहने से रुकता नही,
सुन्न पडा हुआ दिमागसे सोचता नही,
सजाते रहे महेफिल उनके इन्तजारमे,
इन्तजार देखा मैने कभी कमता नही,
सपने देखे सिर्फ सपने ही रह गये तो,
जागते रहते है यादोमे सपना दिखता नही,
रोते हुए को हसाना काम रह गया है बस,
महोब्बत की राहमें कोइ मुश्काराता नही ।
नीशीत जोशी
બુધવાર, 12 જાન્યુઆરી, 2011
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