બુધવાર, 12 જાન્યુઆરી, 2011

महोब्बत की राहमें

समय किसी के कहने से रुकता नही,
सुन्न पडा हुआ दिमागसे सोचता नही,
सजाते रहे महेफिल उनके इन्तजारमे,
इन्तजार देखा मैने कभी कमता नही,
सपने देखे सिर्फ सपने ही रह गये तो,
जागते रहते है यादोमे सपना दिखता नही,
रोते हुए को हसाना काम रह गया है बस,
महोब्बत की राहमें कोइ मुश्काराता नही ।
नीशीत जोशी

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