બુધવાર, 12 જાન્યુઆરી, 2011

एक सोच..

कागज की नाव पे बैठ किनारा पाया नही जाता,
डरते हुए लोगो से समंन्दरमे उतरा नही जाता,
मोती गर चाहते हो उतरो नीचे समंन्दर मे,
बीन चाहे प्यारा दिल किसीको दिया नही जाता,
उडते हो उंचे आसमान मे उडते रहो बेजीझक,
उन उंचे आसमानो पे घरोंदा बनाया नही जाता,
मुश्किले आती है जीवन मे हल भी मीलते है,
बीना महेनत को मंजील का पता पाया नही जाता ।
नीशीत जोशी

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