तेरी आदतसे कोई फरियाद नही,
तेरी आदत के ही आदी बन चुके हम,
तु बीसर जाये फिर याद भी करे,
तेरी फितरत के ही आदी बन चुके हम,
सामने रहते भी करो परदा हमसे,
तेरे दिदार पानेके ही आदी बन चुके हम,
तीर नयनो से घायल भी करो हमे,
तेरे घाव खाने के ही आदी बन चुके हम,
प्यार से फुसलाते रहो तुम हमे,
तेरे प्यारको जतानेके ही आदी बन चुके हम,
करते हो महोब्बत रुलाते भी हो,
तडपके आंसु बहानेके ही आदी बन चुके हम,
प्रत्यक्ष नही पर सपनोमे आते हो,
तेरे सपने सजानेके ही आदी बन चुके हम ।
नीशीत जोशी
શનિવાર, 5 માર્ચ, 2011
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