મંગળવાર, 22 માર્ચ, 2011

कैसे

तुजे छोडकर मै कैसे जी पाउंगा,
पकड से तेरी मै कैसे छुट पाउंगा,

आये तेरी सुनहरी याद सपनो मे,
वो तुटने के डरसे कैसे सो पाउंगा,

भुल कर भी ना कहना भुलने को,
चार दिन भुल के कैसे काट पाउंगा,

रुठ जाओ मनानेसे मानभी जाओगे,
ये तेरी फितरतको कैसे जान पाउंगा,

जानते हो तब भी मुह खुलवाते हो,
तुज जैसा प्यार और मै कहां पाउंगा,

प्रेम-प्याला पी लिया जब तेरे नामका,
अब दुसरे मयखाने मे कैसे जा पाउंगा,

जानते हो हर बात मनकी भलिभांती,
ले लो आहोशमे तभी नाम कर पाउंगा ।

नीशीत जोशी

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