મંગળવાર, 22 માર્ચ, 2011

खेलुंगी होली


भरी पीचकारी मारे मोरो कान्हा,
पकडे बैया रंगे मोके मोरो कान्हा,

न छोडुगी अब चाहे कुछ भी हो,
भले खुब सतावे मोके मोरो कान्हा,

पकड उसे भर लुंगी ओके मोरी बैया,
न छुडा पावेगो नटखट मोरो कान्हा,

चोली पहनाके नचाउंगी ओके मै तो,
चुनरी ओढाउंगी नाचेगो मोरो कान्हा,

सालभर तोडी फोडी मटकी मोरी उने,
मोरी बारी है कहुंगी करेगो मोरो कान्हा,

रंग, भंग, ठीठोरी कर, खेलुंगी होली,
खुदके ही रंगमे रंगायेगो मोरो कान्हा,

सब संग खेलुंगी होली ये वादा मोको,
पहेले तारो रंग ही लागेगो मोरो कान्हा,

चडा दे हर रंग मोपे आज खेल होली,
दुजो रंग न चड पाये मोपे मोरो कान्हा ।

नीशीत जोशी

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