રવિવાર, 15 એપ્રિલ, 2012

दोनो के दरमीयां

दोनो के दरमीयां ये गुन्जाइश हो,
प्यार में न किसीकी फरमाइश हो,

शर्तो पे तो प्यार किया नही जाता,
फिर क्यों किसीकी आज्माइश हो?

इतना न इतराना खुद अदाओ पे,
शायद किसीकी अलग ख्वाइश हो,

संभाल रखना खुद प्यार को ऐसा,
सरेआम मोहब्बतकी न नुमाइश हो,

आयना देखे गर कभी मूड कर भी,
सिर्फ मोहब्बत 'नीर' की आरइश हो ।

नीशीत जोशी 'नीर'
आरइश = beauty 27.03.12

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