રવિવાર, 15 એપ્રિલ, 2012

दिल का कोना


कुछ पाने के लिये कुछ खोना पडता है,
सपने सजाने के वास्ते सोना पडता है,

ऐतबार ऐसे ही सबके उपर नही आता,
मगर विश्वासके काबील होना पडता है,

ईतिहास बार बार पढ दिल न जलाओ,
पढनेके बाद सिर्फ दुखमें रोना पडता है,

इश्क के गरेह्बान पे गर दाग लग जाये,
खुन के आंसुओ से उसे धोना पडता है,

माना अच्छे फल की आश जो रखते हो,
उस के लिये वैसे बीज को बोना पडता है,

इश्क की बेवफाई में तुट जाये गर दिल,
ता-उम्र बोझ को दिलो में ढोना पडता है,

आशीक बसाता है मासूक को जीस जगह,
'नीर' वही उनके दिल का कोना पडता है ।

नीशीत जोशी 'नीर'

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો