રવિવાર, 29 એપ્રિલ, 2012
न जायेगा
अपनो को कभी पराया किया न जायेगा,
जज्बात को यूं इल्जाम दिया न जायेगा,
कठपुतलीया है हम तो इस रंगमंच की,
'मैं' के गुमान में ऐसे जीया न जायेगा,
हर महेफिल तो नही होती है गमगीन,
खुशी को गम के जैसे लीया न जायेगा,
अब तो जहर आम हो गया है प्यार में,
मीला अमृत भी तो अब पीया न जायेगा,
खुद के करम और तोहमत दे खुदा पर,
सर पे आसमां फटे तो सीया न जायेगा ।
नीशीत जोशी 27.04.12
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