રવિવાર, 22 એપ્રિલ, 2012
बहोत है
अब कोई जरुरत नही है मेरी, तेरे चाहनेवाले बहोत है,
कमजोर पडी ईबादत मेरी, दुआए करनेवाले बहोत है,
रुठ भी गर जाओ अब, यहां तुजे मनानेवाले बहोत है,
खुद को सजा के रखना, आयना दिखानेवाले बहोत है,
एक सीतम तु भी करले, यहां सीतम ढानेवाले बहोत है,
मेरी मजबुरी सुन तो ले, पर हां ! सुनानेवाले बहोत है,
फूल पे नाम लिख देना, कब्र पे फूल चडानेवाले बहोत है
शब्दो को तोडमरोड दिया, बहेतरीन लिखनेवाले बहोत है,
मिले सुहाग की कद्र कर, सुहाग को तरसनेवाले बहोत है,
हमने गुजारे थे गुजर जायेगी, ठोकर मारनेवाले बहोत है ।
नीशीत जोशी 'नीर' 16.04.12
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