શનિવાર, 27 ઑક્ટોબર, 2012
चले आना
आये जो याद तो खयालो मे चले आना,
दुर हो तो क्या हुआ सपनो मे चले आना,
कहते हो तस्वीर बनाके छुपायी है दिलमे,
धुंधली लगे तस्वीर, आँखों में चले आना,
रहना यही कही इर्द-गिर्द ही सांज-सवेरे,
लहराते उन हवा के जोंको में चले आना,
तन्हाई में लगे गर फुल मुरजाने चमन के,
बदलके रुख मौसम का बहारो में चले आना,
सन्नाटा बहोत होता होगा उस वीराने में,
बनके बोल, परिंदों की आवाजो में चले आना !
नीशीत जोशी 16.10.12
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