શનિવાર, 27 ઑક્ટોબર, 2012

देख लेंगे

आओगे जो तुम, तुम्हारा नूर देख लेंगे, सबके ओठो पर नाम मशहूर देख लेंगे, एक पत्थर को तराशते रहे हो तुम यहाँ, उसी पत्थर को बनाते कोहिनूर देख लेंगे, आ जाना कनीज़ की गलियों में कभी तो, ना देख पाए जन्नत तो क्या हूर देख लेंगे, खुदा की रहेमत है बनायी जो खूबसूरती, आओगे जो आज, तुम्हे मामूर देख लेंगे, लाख रहो परदे में छुप के जो महेफिल में, तेरी कमसिन नजरो के मखमूर देख लेंगे ! नीशीत जोशी (मामूर = पूर्ण ,मखमूर= नशे में चूर) 25.10.12

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