શનિવાર, 13 ઑક્ટોબર, 2012
देख के तुजे,
आज ये आयना भी शरमा रहा है देख के तुजे,
सारा वो चिलमन भी हसता रहा है देख के तुजे,
तेरे ओठो की लाली जैसे गुलाब की छोटी कली,
सुनहरी चहरे पे भँवरा मंडरा रहा है देख के तुजे,
नशीली आँखों में लगा काजल रात याद दिलाये,
तेरे बिखरे गेशु अँधेरा सजा रहा है देख के तुजे,
तेरे गुलाबी गालो के खंजन में फिसल जाए हम,
दिल में कोई इशारा ललचा रहा है देख के तुजे,
करके जरासा श्रृंगार कितना निखर जाते हो तुम,
आज चाँद भी चाँदनी से बता रहा है देख के तुजे !
नीशीत जोशी 2.10.12
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