શનિવાર, 13 ઑક્ટોબર, 2012
छुपी होती है !
हर हार के पीछे एक जीत छुपी होती है,
सन्नाटे में भी तो मजलिश छुपी होती है,
लोगो की सोच को बदल नहीं सकते हम,
नम आवाज़ में भी एक चीख छुपी होती है,
कैसे मान ले उस शहर को अमीरों से भरा,
जहाँ हर इबादत में एक भीख छुपी होती है,
गुनाह करने के पहले डरते नहीं लोग यहाँ,
जहन में न जाने कैसी चीज छुपी होती है,
कर्म के फल को नसीब का दोष न दे देना,
वो नसीब के पीछे भी तकदीर छुपी होती है !
नीशीत जोशी 30.09.12
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