શનિવાર, 24 નવેમ્બર, 2012
हमें आता नहीं
तुम्हे कैसे भुलाया जाए ये हमें आता नहीं,
यादो को कैसे सुलाये, कोई समजाता नहीं,
जागती रहती है ये आँखे,ना कह नहीं पाते,
क्या करे रातो को तेरा वो ख्वाब जाता नहीं,
सुनहरे पल जो कभी साथ बिताये थे हमने,
क्या करे आँखों से वो पर्दा कोई हटाता नहीं,
अपना कहने को बचा था एक दिल,गवा बैठे,
क्या करे वापसी का दिन कोई बताता नहीं,
हमने खेली थी हर बाज़ी हारने की ज़िद में,
क्या करे जीत का वो जश्न कोई जताता नहीं !
नीशीत जोशी 23.11.12
तेरे आने का पैग़ाम अब लायेगा कौन ?
तेरे आने का पैग़ाम अब लायेगा कौन ?
अंजुमन में आफ़ताब दिखायेगा कौन ?
मियाद पूरी होने पे ही ठिकाने पहुंचेंगे ,
अधूरे ख्व़ाब की अधूरी राह जायेगा कौन ?
ज़मीं के हो कर रह जायेंगे ज़मीं पर ही,
वो अर्श-ओ-फ़र्श का फ़र्क बतायेगा कौन ?
फँसी कश्ती निकल आये जो इत्तेला मिले,
अब बिन पतवार कश्ती को बचायेगा कौन ?
ज़िन्दगी की किताब के पन्ने कोरे रह गए,
अब ख़ून भरी कलम से लिखवायेगा कौन ?
नीशीत जोशी 21.11.12
नफ़रत की हम हिफाजत नहीं करते
हम किसी की हिमायत नहीं करते,
आप भी कभी इनायत नहीं करते,
दिल जिसे कहते थे अपना, मगर,
लुटा बैठे, पर शिकायत नहीं करते,
गरीब बन के प्यार की इल्तजा कि,
शाह है पर हम सियासत नहीं करते,
नासमज, करते रहे वजन तौफे का,
प्यार में हम किफायत नहीं करते,
मुहोब्बत कि है, करते रहेंगे ता'उम्र,
नफ़रत की हम हिफाजत नहीं करते !
नीशीत जोशी 19.11.12
આ જગ માં જુઓ બધા બેહાલ છે
આ જગ માં જુઓ બધા બેહાલ છે,
મારા પણ કંઈક એવા જ હાલ છે,
મોંઘવારીએ વાળ્યો છે એવો દાટ,
કેળાની પણ હાથમાં આવે છાલ છે,
નથી લઇને જતા બાળકો ને બહાર,
હવે તો રજા માં આરામ જ ઢાલ છે,
હૃદય રુદન કરતુ રહે અંદરો અંદર,
'ને ચહેરાએ પહેરી હાસ્યની ખાલ છે,
ખિસ્સામાં છો ને કંઈ નાં હોય, તો શું?
વાતોમાં તો બધા જ માલા-માલ છે.
નીશીત જોશી 17.11.12
कोई कुछ भी कहे औरत के बारे में यहां
मां से बडी जहां मे खजालत नही होती,
प्यारी बीबी से बडी लताफत नही होती,
प्यार हो जाता है पहेली नजर में, मगर,
प्रेयसी से बडी कोइ कयामत नही होती,
भाई बहन का प्यार अनमोल है जहां में,
बहन जैसी किसी की हिफाजत नही होती,
एक ही फर्क होता है लडके और लड़की में,
अपनी बच्ची से कोइ हिमायत नही होती,
कोई कुछ भी कहे औरत के बारे में यहां,
उससे बडी कुदरत की करामात नही होती ।
नीशीत जोशी 16.11.12
…ख़जालत= happy, auspicious, and blessed, लताफत= pleasantness
सुलग उठता है जिगर
सुलग उठता है जिगर तुजे भूलाने से,
दिल बैठ जाता है यहाँ तुजे बूलाने से,
वो सुक जाते है शाक के पत्ते पेड पे ही,
शाक भी रो पड़ती है तुजे न जूलाने से,
सपनों ने भी नींद का रास्ता छोड़ दिया,
ये जागती रहती है आँखे तुजे सूलाने से,
इन होठो को हसते हुए हो गए है अरसो,
मगर बाज़ नहीं आते हो तुम रुलाने से,
तैरता है बदन पानी के ऊपर समन्दर में,
लहर शायद थम जायेगी लाश डुबाने से !
नीशीत जोशी 15.11.12
ગુરુવાર, 15 નવેમ્બર, 2012
फरिस्तो ने
बेहिस्त जाते हुए रोका फरिस्तो ने,
खुदा का वास्ता दे, टोका फरिस्तो ने,
कारगर ना हुए प्यार की राह चलके,
यहाँ भी दे दिया धोका फरिस्तो ने,
रूबरू हो जाते तो रंजिश भी न रहेती,
विरह की आग में जोंका फरिस्तो ने,
सुन ली होगी किसी अपनो की दुआ,
पुरदर्द रास्ता समज टोका फरिस्तो ने,
हदीस पढ़ निकले थे हबीब पाने को,
पादश भूल, दिया मौका फरिस्तो ने,
नीशीत जोशी
बेहिस्त= heaven, पुरदर्द= sorrowful,
हदीस= words of Prophet Mohammed, पादश= punishment
चाँद भी कभी चाँदनी के लिए छूपा होगा
चाँद भी कभी चाँदनी के लिए छूपा होगा,
रात ढलने के इंतज़ार में कहीं रुका होगा,
रोशनी को बूजा के खुश हुआ होगा बहोत,
जुगनुओ के आने पर ही शायद रूठा होगा,
चाँदनी ने छिपाये होगे सितारे आसमाँ में,
चाँद को ढूढ़ते ढूढ़ते ही सितारा टुटा होगा,
गुलदस्ता बन कर सितारे चमक गए होगे,
चाँद ने अंधेरो में प्यार का जोश फूका होगा,
चाँद मुहब्बत करता है चाँदनी से बेहिसाब,
देखके प्यार दोनों का आसमाँ भी जूका होगा !
नीशीत जोशी 05.11.12
ખરવા નથી જવું
ઘણો કર્યો પ્રેમ, હવે સંતાપ કરવા નથી જવું,
છો ને આવી હોય પાનખર,ખરવા નથી જવું,
અજનબી બની ગયા માનેલા જેને પોતાના,
ડરથી હવે પોતા સાથે પણ ફરવા નથી જવું,
મજધાર લઇ જઈને ડુબાડી ન દે સમુદ્ર મધ્યે,
આવડવા છતાંય હવે દરિયે તરવા નથી જવું,
સાચવી રાખ્યું હતું અમાનત સમજી એ હૃદય,
છો રહ્યું તૂટેલું, કોઈ અન્યને ધરવા નથી જવું,
લાગણી થાકી આંખોથી વહાવી વહાવી આંસુ,
રણમાં હવે મૃગજળનાં જળ ભરવા નથી જવું .
નીશીત જોશી 05.11.12
દરવાજા બંધ થઇ ગયા
અંધારું થયું 'ને નગરના દરવાજા બંધ થઇ ગયા,
રાત આવી 'ને સપના સજાવાના પ્રબંધ થઇ ગયા,
એવી તે ચકડોળે ચળાવી વાતો પ્રેમના પ્રકરણની,
એ નગરમાં તેની વાતોના જુઓ નિબંધ થઇ ગયા,
જૂની ચોપડીમાં જોઇને ફૂલ, ઈતિહાસ સામે થયો,
આજે જુઓ ચોપડીના બધા પાનાં સુગંધ થઇ ગયા,
થાકી ગયા છીએ લાગણીઓને આપી આપી તાકાત,
હવે તો જુઓ યાદોની સંગ જ ફક્ત સંબંધ થઇ ગયા,
ચાલતા કાફલા સંગ, ભૂલા પડી ગયા 'તા એક પથે,
એકલતા ભોગવતા આ હૃદયના પણ સ્કંધ થઇ ગયા .
નીશીત જોશી 03.11.12
हमसे ठुकारेये हुए लोग देखे नहीं जाते
पाये हुए वो तौफे कभी बेचे नहीं जाते,
हम किसीको इल्जाम देने नहीं जाते,
छोड़ दिया उनकी गलियों से गुजरना,
हमसे वफ़ाओ के भरम ज़ेले नहीं जाते,
दिल तोड़ के करते है जोड़ने का फरेब,
हमसे रकीबोसे भी खेल खेले नहीं जाते,
कहने को तो निकले थे हमराही बनके,
हमसे रुसवाई में कदम चले नहीं जाते,
तोड़ दिए है हमने घर के सभी आयने,
हमसे ठुकारेये हुए लोग देखे नहीं जाते !
नीशीत जोशी 02.11.12
मैं नशे में हूँ
पी ली है बेहिसाब, मैं नशे में हूँ,
न दे पाऊंगा जवाब,मैं नशे में हूँ,
जलता है बदन, पानी नहीं यहाँ,
यहाँ है बस शराब, मैं नशे में हूँ,
सूज गयी है आँखे बहा के आंसू,
पीते रहे है वो आब,मैं नशे में हूँ,
हसते हसते वोह दे रहे थे ज़ख्म,
कैसे बताये हिसाब, मैं नशे में हूँ,
न पूछना कोई मेरे पीने का सबब,
रूठ गये है सब ख्वाब,मैं नशे में हूँ !
नीशीत जोशी 01.11.12
महबूब
बदल रहा है मौसम की मेरा महबूब आने वाला है,
बाग़ भी आज फूलो का गुलदस्ता सजाने वाला है,
मुद्दत से करते थे इन्तजार जिस पल के लिए हम,
आज मेरी तकदीर का पन्ना महबूब पाने वाला है,
चाँद को भी आज छुप जाना पड़ सकता है कहीं पे,
आके मेरा महबूब आज चाँद को शरमाने वाला है,
खरोच ना लगे, ऐ हवा! जरा आहिस्ता से लहेराना,
मेरा महबूब तेरी ही वादियों में आज नहाने वाला है,
सुनी महेफिल भी आज रोशन हो जायेगी बाबस्ता,
मुझे ढूंढ़ने मेरा महबूब उस महेफिलमें जाने वाला है !
नीशीत जोशी 30.10.12
दिल की बात सुन ही लेंगे
आएगी जो तेरी याद,यादो के सहारे जी लेंगे,
छुपा के गम को,सभी के सामने हस भी लेंगे,
बह भी जाएगा जो दरिया उन आँखों से गर,
उल्फत में अपनी आँखोंके अश्क को पी लेंगे,
अकले गुनगुनायेंगे दास्ताँ-ए-मुहब्बत अपनी,
मिली उस तन्हाई में लगे जख्मो को सी लेंगे,
निकलगे तेरी गलियों से लड़खड़ाते हुए हम,
दिल के हर टुकड़े को करीब से देख भी लेंगे,
ये दिमाग गुफ्तगू करता रहेगा दिल से अगर,
मुहब्बत के आका, दिल की बात सुन ही लेंगे !
नीशीत जोशी 29.10.12
તુજ વગર
આજ આ હૃદય તડપે છે તુજ વગર,
અજવાળા પણ સરકે છે તુજ વગર,
સમય ચાલતો રહે છે તેની રફતારે,
પણ ધડકન ક્યાં ધડકે છે તુજ વગર?
લઇ જાય છે મુજને બધા એ બાગમા,
પણ ગુલાબો ક્યાં મહકે છે તુજ વગર?
આભનાં સિતારા દેખાડે છે રસ્તો કોઈ,
એ રસ્તે ક્યાં કોઈ ફરકે છે તુજ વગર?
થઇ ગઈ છે સુની એ પાળ કિનારાની,
ઉછાળા લઇ લહેરો ભડકે છે તુજ વગર.
નીશીત જોશી 28.10.12
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