
શનિવાર, 24 નવેમ્બર, 2012
हमें आता नहीं

तेरे आने का पैग़ाम अब लायेगा कौन ?

नफ़रत की हम हिफाजत नहीं करते

આ જગ માં જુઓ બધા બેહાલ છે

कोई कुछ भी कहे औरत के बारे में यहां

सुलग उठता है जिगर

ગુરુવાર, 15 નવેમ્બર, 2012
फरिस्तो ने

चाँद भी कभी चाँदनी के लिए छूपा होगा
![IMG_0274[1]](http://nishitjoshi.files.wordpress.com/2012/11/img_02741.jpg)
ખરવા નથી જવું

દરવાજા બંધ થઇ ગયા

हमसे ठुकारेये हुए लोग देखे नहीं जाते

मैं नशे में हूँ

महबूब

दिल की बात सुन ही लेंगे

તુજ વગર

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