રવિવાર, 30 જૂન, 2013
अन्दर की उदासी
अन्दर की उदासी को युँह न पनपने दो यारो,
अल्फाजोको कभी शिकायत न करने दो यारो,
पनप के जीना दुस्वार कर देगा तेरी जिन्दगी,
हसने मुश्कराने, ओठो को न तरसने दो यारो,
बैठा रहेगा खामोश रह कर खुद की तन्हाई में,
जिन्दगी में आयी मुश्कराहट न भूलने दो यारो,
मुरझा जाता होगा तन्हा फूल भी उन बागो में,
गुफ्तगू से वो मुहोब्बत-ए-दास्ताँ बहने दो यारो,
कुछ पल के लिए उदास रहेना लाजमि है यारो,
फिर लब्जो को मुहोब्बत के नग्मे गाने दो यारो,
नीशीत जोशी 27.06.13
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