રવિવાર, 9 જૂન, 2013

भरी महेफिल में हम तन्हा रह गये

946494_10200602559459856_1357227069_n भरी महेफिल में हम तन्हा रह गये, खड़े थे वो किनारे और हम बह गये, इल्तझा हमारी,चल दिए ठुकरा कर, इन्तजार के हर लम्हे हम सह गये, दास्ताँ मुहोब्बत की सुनके लगे रोने, दर्द में अपने हर जख्म हम कह गये, कमजोर रही होगी प्यार की इमारत, एक एक करके सब वो पत्थर ढह गये, आना न था तो वादा क्यों किया उसने, कब्र तक इन्तजार करते हम रह गये | नीशीत जोशी 08.06.13

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો