શુક્રવાર, 21 જૂન, 2013
छोड़ दिया है चाँद ने छत पे आना
छोड़ दिया है चाँद ने छत पे आना,
बंध कर रखा है तूने जब से जाना,
आफताब भी छुपा है अन्जुमन में,
इन्तजार है किसी हमसफ़र पाना,
सजदा करे सितारे रात आसमाँ में ,
नहीं डालते मुंह में कोई एक दाना.
छोड़ दिया फूलोने महकना बाग़ में,
वो बागबान भी मारते है उसे ताना,
शायद तूम भूल जाओ ये हक है तुझे,
पर दिल ने कब कहाँ किसीका माना ?
नीशीत जोशी 17.06.13
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો