कतरो में जिंदगी को जीना मान लिया है,
ग़म का समंदर पीना होगा जान लिया है,
उल्फत की राहो में, निकले सोच समझ के,
हो चाहे कांटो की राह, चलना ठान लिया है,
तन्हाई में नहीं बहायेंगे अब आँखों से आब,
बिना दिलबर, जिंदगी जीने का ज्ञान लिया है,
गीला नहीं, शिकवा नहीं, चराग बुझ जाने का,
जुगनू से रोशनी करने का हुनर जान लिया है,
मुश्किल तो होगी पर साँसे लेते रहेंगे बाबस्ता,
शहरे खामोशा ही होगा ठिकाना मान लिया है !!!!
नीशीत जोशी 30.08.14
રવિવાર, 31 ઑગસ્ટ, 2014
कतरो में जिंदगी को जीना मान लिया है
कतरो में जिंदगी को जीना मान लिया है,
ग़म का समंदर पीना होगा जान लिया है,
उल्फत की राहो में, निकले सोच समझ के,
हो चाहे कांटो की राह, चलना ठान लिया है,
तन्हाई में नहीं बहायेंगे अब आँखों से आब,
बिना दिलबर, जिंदगी जीने का ज्ञान लिया है,
गीला नहीं, शिकवा नहीं, चराग बुझ जाने का,
जुगनू से रोशनी करने का हुनर जान लिया है,
मुश्किल तो होगी पर साँसे लेते रहेंगे बाबस्ता,
शहरे खामोशा ही होगा ठिकाना मान लिया है !!!!
नीशीत जोशी 30.08.14
बस में नहीं था, इलाज बेवफाई का, तबीब के पास
नासूर घावों के खून से, खुद की दवाई करने लगे !!
ना जाने क्यों, तबीब भी, मेरी ही बुराई करने लगे !!!!
बस में नहीं था, इलाज बेवफाई का, तबीब के पास !!
गहराई की, पैमाइश वास्ते, दिल खुदाई करने लगे !!!!
इलाज था इस दर्द का, सिर्फ मेरे मुहिब्ब के पास!!
नासमज तबीब, अपने हुन्नर की, नुमाई करने लगे !!!!
होश में रहते हुए भी, बेहोशी का आलम छाया था !!
तरस खा कर मुझ पे, हरकोई रहनुमाई करने लगे !!!!
देख कर, खस्ता दिल को, आये चश्म-ऐ-तर सभी !!
पी रहे थे तल्ख़ाबे ग़म, तब सब जुदाई करने लगे !!!!
नीशीत जोशी
(पैमाइश - measurement, survey,खस्ता - broken/sick/injured ,चश्म-ऐ-तर - wet eyes ,तल्ख़ाबे गम-प्रेम के दुख का पानी रूपी विष) 25.08.14
બનાવી તુજ બુત, નમી લઈશ હું
ટુકડાઓ માં જિંદગી, જીવી લઈશ હું ,
મળેલું ઝેર જિંદગી નું, પી લઈશ હું,
મળશે અજાણ્યા પથે, બહુ અજનબી,
દુશ્મનો ને પણ સાથે, લઇ લઈશ હું,
હૃદય છે કાંચનું, એ હતું જ તુટવાનુ,
સ્મિતના થીગડેથી, સીવી લઈશ હું,
કોશિશ છે, ઉર્મીને શબ્દો આપવાની,
રુધિર-સ્યાહીથી, કલમ ભરી લઈશ હું,
મીણ પણ બની ગયું છે, હવે પથ્થર,
બનાવી તેનું તુજ બુત, નમી લઈશ હું.
નીશીત જોશી 24.08.14
શનિવાર, 23 ઑગસ્ટ, 2014
नासाज़दार असर, अदाओं का हुआ होगा
फ़िज़ा पे असर, हवाओं का हुआ होगा,
प्यार पे असर, अदाओं का हुआ होगा,
नहीं होता कोई ऐसे, किसी का दीवाना,
दिल पे असर, निगाहों का हुआ होगा,
हो जाते है ख़ाक, वो परवाने जल कर,
कुछ ऐसा हश्र, चरागों का हुआ होगा,
आ गया है इंक़लाब, जंग-ए-इश्क़ में,
तनिक असर, अफवाओं का हुआ होगा,
खामोश हुए सितमगर, खुद के सितम से,
नासाज़दार असर, अदाओं का हुआ होगा !!!!
नीशीत जोशी (नासाज़दार= विपरीत) 21.08.14
રહશે એક જ તુજ યાદ
उसने मरने ना दिया
चैन से मुझ को कभी, अपना रहने ना दिया,
मेरे थे वोह मगर, खुद अपना कहने ना दिया,
आयी थी वो बहारे, ले कर दिलकश नज़राना,
रोक कर उन हवाओ को, उसे बहने ना दिया,
देने को रोशनी, रोशन हो रहा था एक चराग,
खोल कर के खिड़कियाँ, उसे जलने ना दिया,
रोती हुयी रातो को, दे दी थी मैंने थोड़ी हसीं,
मालूफ़ के ख्वाबो को, मगर उसने सजने ना दिया,
सोचा था, कतरो में जीने से अच्छा है, मर जाए,
पी गया था मैं ज़हर, मगर उसने मरने ना दिया !!!!
नीशीत जोशी (मालूफ़ = beloved ) 16.08.14
શનિવાર, 16 ઑગસ્ટ, 2014
બનવું પડશે દુર્ગા
કેવો તે હળાહળ કળયુગનો બિહામણો કાળ છે?
રોજનો બાળકીઓ પર ગુજરતો અત્યાચાર છે,
એક "નિર્ભયા" ફક્ત નથી રહેતી રાજધાનીમાં,
ગામડાઓમાં પણ આવી અબળાઓ અપાર છે,
થાય છે નારી નું સન્માન ફક્ત હવે શબ્દો માં,
અહી તો દ્રોપદીનાં ચીરો રોજબરોજ હણાય છે,
નીતનવી રોજ બનાવી વાર્તા એ અબળાઓની,
ટેલીવિઝનની ચેનલો નાણાં કમાતી જણાય છે,
સુરક્ષા માગે કોની પાસે,બન્યા છે રક્ષક જ ભક્ષક,
છતાં ન માનજો ક્યારેય બાળકીનો જન્મ શ્રાપ છે,
કરે તો કરે કોના પર વિશ્વાસ બિચારી અબળાઓ,
આ જમાનામાં સગો બાપ પણ નરાધમ જણાય છે,
ઉઠવું પડશે હવે પોતે જ પોતાની એ સુરક્ષા કાજે,
બનવું પડશે દુર્ગા, ત્યારે જ મહિસાસુરનો સંહાર છે.
નીશીત જોશી 14.08.14
कलम के पहले मेरे वो अश्क़ सरक पड़े
ओस के बूंदो की जब जब चमक पड़े !
प्यार की जहन में तब तब कसक पड़े !!
आसमाँ में जब छाये हो बर्षा के बादल !
बारिस के पहले तेरी अक्स ज़लक पड़े !!
कागज़ पर कुछ लिखने बैठे जब हम !
कलम के पहले मेरे वो अश्क़ सरक पड़े !!
काबू में ना रहा दिल तेरा नाम सुन के !
जज्बात तो दूर ये अल्फाज बहक पड़े !!
दूर रहना तुझसे इतना तो मुहाल हुआ !
तसव्वुर में तुझे देख ये दिल धड़क पड़े !!
नीशीत जोशी 12.08.14
શનિવાર, 9 ઑગસ્ટ, 2014
मेरे महबूब को खबर देना
बनके क़ासिद, मेरे महबूब को खबर देना,
खुश हूँ मैं, मगर मेरे क़फ़स पे नजर देना,
निकाल पाओ तो, निकाल के नजात दिलाना,
वरना, मुझे जिंदगी का आखरी सफर देना,
भटक गए हैं राह से, बिना हमराही के हम,
तेरी ही, उम्मीदों के, आशियाने में बसर देना,
खामोश रह के, बेपायां प्यार करते रहे हम,
समजा सके वही, वो खामोशी को असर देना,
दम घूँटता है, अब अकेले, तेरे इन्तजार में,
इजाबत करके, मिलन का एक पहर देना !!!!
नीशीत जोशी (इजाबत= reply) 07.08.14
દિવસો હવે જુદાઈમાં જાય છે
દિવસો હવે જુદાઈમાં જાય છે,
'ને દરિયો આંખોથી છલકાય છે,
હૃદય પણ જો થયું છે બેબાકળું,
મિલનની આશ ક્યાં છુપાય છે,
નદીની પાળો પણ થઇ છે સુની,
લહેરો યાદોના હિલોળા ખાય છે,
બગીચા ના બાંકડા જુએ છે રાહ,
એ ફૂલો પણ ત્યાં હવે કરમાય છે,
સાચવેલા પત્રો આવ્યા છે ફાટવા,
એ કલમ પણ વિરહ ગીતો ગાય છે.
નીશીત જોશી 05.08.14
अब भी है
तेरी ग़ज़ल का, दिल में, सुरूर अब भी है,
तेरी चाहत में,हुआ था मशहूर,अब भी है,
याद आती है हमे, रह रह कर, सभी बातें,
साथ बिताये, लम्हों का ग़ुरूर, अब भी है,
चुप रह कर, जो करते थे, हम गुफ्तगू,
हम, खामोश इश्क़ से, मसरूर अब भी है,
जुबाँ खामोश हैं, मगर, आँखे अब बोलेगी,
समंदर बहाने का,उसका फुतूर, अब भी है,
तेरी तौक़ीर-ए-मुहब्बत, दिल में, अब भी है,
तुम, अब भी हो मेरे, मुझे ये ग़ुरूर अब भी है !!!!
नीशीत जोशी (फुतूर= weakness, मसरूर=happy, तौक़ीर= respect ) 02.08.14
શનિવાર, 2 ઑગસ્ટ, 2014
બધું અહીં જ રહી જશે
દેખાય છે જે સુરજ,સાંજ પડ્યે ઢળી જશે,
લીલું છે જે ઝાડ,સમય આવ્યે મરી જશે,
દેખાતું ભલે હોય આજ, કાલે તે નહીં રહે,
પંચતત્વનું આ પુતળું માટીમાં ભળી જશે,
મારા તારા ની હૈયા હોળીમાં કાઢ્યું જીવન,
કંઈ નહીં જાય સાથ બધું અહીં જ રહી જશે,
પોતાના પણ જટ કાઢવા લાશ રહેશે તત્પર,
આવીઆવીને બધા બે-ચાર દિવસ રડી જશે,
સાચું છે જગ માં બસ એક જ ઈશ્વર નામ,
લીધું હશે એ નામ તો જીવતર તરી જશે.
નીશીત જોશી 30.07.14
हवा से ही ये जज्बा पाया है
अभी अभी, हवा का एक झोका, आया है,
बनकर वो क़ासिद, तेरी ही खबर लाया है !!
न रोकना उसे, दिवार-ए-दरमियाँ बनकर,
भरम तोड़ो, वो हवा नहीं, उसीका साया है !!
आयी होगी छू के, ये पुरवैया उनको शायद,
इन वादीओ में, खुश्बू का माहौल छाया है !!
न करना अब, दिल तोड़नेवाली कोई बाते,
उन फूलो से ही, हमने हर झख्म खाया है !!
कर देगी वो आकर, मेरी जिंदगी खुशहाल,
रूबरू ना सही, हवा से ही ये जज्बा पाया है !!
नीशीत जोशी 27.07.14
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