ना मानना बुरा सुनो अब मेरी बारी है,
कह भी दे कुछ , लग जाये गर कुछ,
ना करना गम, अब सिर्फ हसने की बारी है ।
न थे तुम यंहा तब भी जी तो रहे थे,
गुमसुदा जीन्दगी तब भी बिता तो रहे थे,
अब तो गुलदस्ते को महेकनी बारी है,
आपके हमारे साथ सिर्फ हसने की बारी है ।
मुश्कराते थे हम छुपे थे गम,
रात न जाती थी नीकलते थे दम,
आने से आपके खिलखीलाने की बारी है,
महेफिलमे अब चिरागको सिर्फ हसने की बारी है ।
नीशीत जोशी
સોમવાર, 28 ડિસેમ્બર, 2009
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