શનિવાર, 9 જુલાઈ, 2011
तय है
कब्रका सही रस्ता उन्हीका तय है,
सही जीयेतो जीना उन्हीका तय है,
घुमते रहते है राहो गुजर यहांवहां,
गुमसुदा बन जाना उन्हीका तय है,
ठोकरे खाते रहो भटकने पे राह में,
न समजे तो गीरना उन्हीका तय है,
गुरुर से नीकले है बारीस के मौसममे,
छाता भुले जो भींगना उन का तय है,
मुश्कील पलोमें भी गर याद करोगे,
राहगीर बनके आना उन्हीका तय है,
न भुलो हर राह उनकी बनायी हुयी,
नाम जो ले संभलना उन्हीका तय है,
उनकी इबादतसे सहारा मीलना तय है,
दुआओसे संभलजाना उन्हीका तय है....
नीशीत जोशी 23.06.11
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ ટિપ્પણીઓ (Atom)
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો