શનિવાર, 16 જુલાઈ, 2011

तेरी तारीफमें क्या कहे?


बात चली तेरी तारीफ की,
तेरी तारीफमें क्या कहे?
तेरी उंचाइयो को क्या कहे?
क्या औकात जो कुछ बया करे,
तेरी उपल्बधीयां क्या कहे?
समंन्दर को बनाये गर साही,
बनाये कलम हर पैडोकी,
धरतीको बनादे गर कागज,
फिरभी कम पडे तारीफ लिखना,
धुलभी नही तेरे चरणोकी,
करते हो प्यार परवाह नही काबलियतकी,
तेरे प्यार को क्या कहे?
तेरी तारीफमें क्या कहे?
नीशीत जोशी 12.07.11

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