શનિવાર, 9 જુલાઈ, 2011

तुम मुजको ही आजमाते रहे


तुम मुजको ही आजमाते रहे,
हम खुदको ही समजाते रहे,

दिया अदासे प्यारका वास्ता,
रिस्ता तुटने से गभराते रहे,

अश्क बहते रहे जुबा खामोश,
गमोको दिलमें दफनाते रहे,

वादा किया पर निभानेमे देर,
बारबार बातोको दोहराते रहे,

वाकिया चला जबभी प्यारका,
यादोसे दिलको सहलाते रहे,

सवालोके बवंडरमे युं फसाया,
वो सवाली जवाब सुलजाते रहे,

थी वो तारीख और है आजकी,
तेरा दिवाना पागल कहलाते रहे ।

नीशीत जोशी 25.06.11

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