શનિવાર, 9 જુલાઈ, 2011

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तेरी जुस्तजु तेरा ही ईन्तजार है,
यह सुकुने कस्ती अब तारतार है,

कब आयेगी वोह जन्नते हुस्नपरी,
कायनातमे यह रुह अब बीमार है,

दुनियाने रोका पर पी गये वो जाम,
नयनसुरा बहोत अब असरदार है,

तबीबोने पुछा हालेदिल मेरा जरा,
इलाज बाद हालतमे अब खुमार है,

रहेनुमा बनाया सब रिस्ते तोडके,
तहजिब भुल कहां अब शर्मोसार है,

बीखरे पडे थे फुल रास्तोमे मुरजाये,
फुलभी पथ्थर बनके अब राहगार है ।

नीशीत जोशी

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