રવિવાર, 13 નવેમ્બર, 2011

तस्सवुर की जो रंगत होते

तेरे तस्सवुर की जो रंगत होते,
तो हम बादशा-ए- जन्नत होते,

वो फरिस्तेभी साथ रहते हरदम,
खुद खुदा भी हमारी संगत होते,

आठो पहर करते रहते पहरेदारी,
तकदीर बनानेवालेभी अंगत होते,

बागके कुचे से महक उठती रहती,
वो हर फुल आपकी खीदमत होते,

ये जीन्दगी फिर मील जाती दुबारा,
वो सांस दुसरी सांसकी मन्नत होते,

गर रहेमत करता मेरा नबी मुजपे,
हर ख्वाबमे बसना मेरी हसरत होते ।

नीशीत जोशी 11.11.11

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