चांद की आहोंशमें रहे सीतारे सजाने वाले,
खुद रुठते रहे इश्कमें सबको मनाने वाले,
नफरत से भरी दुनीया होती बीना प्यारके,
शुक्रिया महोब्बतकी पगदंडीया बनाने वाले,
सीतमगर की फितरत है सीतमको फैलाना,
प्यार से मात खाते है वोह सब सताने वाले,
कदम हमने उठाया महोब्बतमें उसे देखकर,
तीलमीला उठे इश्कको दलदल बताने वाले,
पा लिया जब प्यार हमने इस कदर जहांमे,
दोनोको देखते रह गये हैरत से जमाने वाले ।
नीशीत जोशी 21.11.11
શનિવાર, 26 નવેમ્બર, 2011
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