રવિવાર, 29 એપ્રિલ, 2012
न जायेगा
अपनो को कभी पराया किया न जायेगा,
जज्बात को यूं इल्जाम दिया न जायेगा,
कठपुतलीया है हम तो इस रंगमंच की,
'मैं' के गुमान में ऐसे जीया न जायेगा,
हर महेफिल तो नही होती है गमगीन,
खुशी को गम के जैसे लीया न जायेगा,
अब तो जहर आम हो गया है प्यार में,
मीला अमृत भी तो अब पीया न जायेगा,
खुद के करम और तोहमत दे खुदा पर,
सर पे आसमां फटे तो सीया न जायेगा ।
नीशीत जोशी 27.04.12
पीनेवालो
मयकदे में जाम टकराया जायेगा,
नाम का प्याला छलकाया जायेगा,
लडखडा भी जाये जो कदम अगर,
साकीया को बखुबी बचवाया जायेगा,
भटके राही जो मील जाये कही पर,
उसे भी मयखाने पहोंचवाया जायेगा,
जो पहोंच जाये एकबार उस दर पर,
बार बार दिल से उसे बुलवाया जायेगा,
हिचकी जो चडे तो जरा ठहर जाना,
वरना प्याला तो यूंही भरवाया जायेगा,
पीने का शोक हो बेजीझक पी लेना,
नयनो की महेफिल को सजवाया जायेगा,
पीनेवालो को ही मीलती है ईजाजत,
नामुरादो को मजलीश से हटवाया जायेगा ।
नीशीत जोशी 26.04.12
तू बडॉ से भी बडा
तू बडॉ से भी बडा कलंदर है,
ढूंढते है बाहर पर तू अंदर है,
जहां में जीत का गूमान क्यों?
तू सीकन्दरो का सीकन्दर है,
रहमत मीले हो सफल जीवन,
सूना तू रहमो का समंन्दर है,
ये दुनीया लगे छोटी तेरे आगे,
आसमांसे भी बडा तू अंम्बर है,
अपनी किस्मत का रोना कैसा,
तू दिदार में आये यही मंझर है ।
नीशीत जोशी 24.04.12
હોવા જોઇએ !
દરીયાના આંસુ પણ ખારા હોવા જોઇએ !
પણ લહેરોના વહેણ સારા હોવા જોઇએ !
સમર્પિત થઇ નદી બની જાય છે ખારી,
પ્રેમના ઉન્માદો તેના ન્યારા હોવા જોઇએ !
ચાંદ ચાંદની ની વાતો થઇ હવે પુરાણી,
હવે પ્રેમીના નામે આભે તારા હોવા જોઇએ !
એ પ્રેમ ને માની લઇએ જો અદ્દભુત રમત,
એ રમનારાઓ ના પણ નારા હોવા જોઇએ !
થઇ જાય પ્રેમ માં તરબોળ બધા પોતાના,
ત્યાર બાદ પારકાના પણ વારા હોવા જોઇએ !
નીશીત જોશી 23.04.12
રવિવાર, 22 એપ્રિલ, 2012
રિસામણા-- મનામણા
તુજને મનાવવામાં વાર લાગે છે,
જીતેલી બાજી પણ હાર લાગે છે,
પ્રેમ ના હજી કેટલા પ્રમાણ આપુ?
મુજની હર વાતોમાં ખાર લાગે છે,
તુજ મૌનની ભાષા પણ છે નીરાળી,
અસ્મીત ચહેરો દિલને માર લાગે છે,
નફરતમાં જીવન ન થઇ શકે પસાર,
પ્રેમ જ જીવનનો સાચો સાર લાગે છે,
કોલ આપ્યો હર ક્ષણ સાથ આપવાનો,
આજ એ કોલ પણ મુજને ગાર લાગે છે,
ન તડપાવ હવે મનાવુ છું ખરા હ્રદયથી,
ધોમ ગ્રીષ્મનો તાપમાં પણ ઠાર લાગે છે.
નીશીત જોશી 21.04.12
नही पाते है
चाहकर भी हम तुजे हकीकत कह नही पाते है,
करते हो जो सीतम मुज पे वो सह नही पाते है,
तेरे रंज से अब तो जीना भी हो रहा है दुस्वार,
ठहर गये आंखो के अश्क मेरे बह नही पाते है,
कुछ वाकिये को भुल जाना ही होता है बहेतर,
बुनीयाद मजबुत हो तो मकान ढह नही पाते है,
तीनका तीनका जोड हमने बनाया आशीयाना,
उस घर में बेगैर तेरे अब हम रह नही पाते है,
तुफान में भी रास्ता बना लिया उन लहेरो ने,
तेरे प्यार को तरसते है मगर वह नही पाते है ।
नीशीत जोशी 20.04.12
बहोत है
अब कोई जरुरत नही है मेरी, तेरे चाहनेवाले बहोत है,
कमजोर पडी ईबादत मेरी, दुआए करनेवाले बहोत है,
रुठ भी गर जाओ अब, यहां तुजे मनानेवाले बहोत है,
खुद को सजा के रखना, आयना दिखानेवाले बहोत है,
एक सीतम तु भी करले, यहां सीतम ढानेवाले बहोत है,
मेरी मजबुरी सुन तो ले, पर हां ! सुनानेवाले बहोत है,
फूल पे नाम लिख देना, कब्र पे फूल चडानेवाले बहोत है
शब्दो को तोडमरोड दिया, बहेतरीन लिखनेवाले बहोत है,
मिले सुहाग की कद्र कर, सुहाग को तरसनेवाले बहोत है,
हमने गुजारे थे गुजर जायेगी, ठोकर मारनेवाले बहोत है ।
नीशीत जोशी 'नीर' 16.04.12
રવિવાર, 15 એપ્રિલ, 2012
दिल का कोना
कुछ पाने के लिये कुछ खोना पडता है,
सपने सजाने के वास्ते सोना पडता है,
ऐतबार ऐसे ही सबके उपर नही आता,
मगर विश्वासके काबील होना पडता है,
ईतिहास बार बार पढ दिल न जलाओ,
पढनेके बाद सिर्फ दुखमें रोना पडता है,
इश्क के गरेह्बान पे गर दाग लग जाये,
खुन के आंसुओ से उसे धोना पडता है,
माना अच्छे फल की आश जो रखते हो,
उस के लिये वैसे बीज को बोना पडता है,
इश्क की बेवफाई में तुट जाये गर दिल,
ता-उम्र बोझ को दिलो में ढोना पडता है,
आशीक बसाता है मासूक को जीस जगह,
'नीर' वही उनके दिल का कोना पडता है ।
नीशीत जोशी 'नीर'
देख
मेरी आगोश में आके तो देख,
मेरी सांसे आजमा के तो देख,
.
शाम सुहानी हो जायेगी अपनी,
रुख से ये परदा हटा के तो देख,
.
सूखे होंठ खिल उठेंगे फूल से,
एक बार जरा मुस्कुरा के तो देख,
.
गर्दिश में चले जायेंगे सितारें,
एक बार आयना घुमा के तो देख,
.
हर रात सुकून से कट जायेगी,
सुनहरे सपनों को सजा के तो देख,
.
ई-मेल का दौर नही रास आता,
कबूतरों को फिर से उड़ा के तो देख,
.
अपनी नैया पहुँच गयी है मझधार,
पतवार को 'नीर' संग चला के तो देख |
.
नीशीत जोशी 'नीर' 13.04.12
अब दिवानगी भी सरेआम होने लगी है,
जब से मेरी फिक्र में दिनरात वो जगी है........
* * * * *
पिला साकी तेरे मयखाने तक आये है,
तूने ही नयनो के जाम हमे पिलाये है,
न तडपाना तूम बंध कर के दरवाजे तेरे,
कितनी मुद्दतो बाद मंझील तेरी पाये है,
जमाना दे गर दर्द पर तू देना मुजे प्यार,
एक तू ही तो है मेरी और सब पराये है,
जन्नत भी अब तो ना मांगेंगे दुआओ में,
जहां के आशीको ने वहां भी पथ्थर खाये है,
बेवजह शक के दायरेमें रह फिक्र करते हो,
'नीर' ने हर कुचे को तेरे इश्क से सजाये है ।
नीशीत जोशी 'नीर' 12.04.12
जमाने में चर्चा होती है
चांद आज बदनाम हुआ चांदनीके नाम से,
समंन्दर शरमाया आज लहेरो के काम से,
लडखडाते कदम फिर रुक गये मयखाने पे,
वो नजरे बे-पर्दा हुयी शराबीओ के जाम से,
कारवां चलता रहा तुफानो को काटते काटते,
सुबह की धुप खामोश हुयी आने से शाम से,
उची इमारातो मे रहनेवालो जरा सोच लेना,
रहते हो ये झोपडीयों के फना होने के दाम से,
मोहब्बत भी रह गयी है सिर्फ नाम के खातीर,
जमाने में चर्चा होती है 'नीर' कि हर आम से ।
नीशीत जोशी 'नीर' 11.04.12
प्रेरणा
काश ! तुजसे प्रेरणा मीली होती,
मेरे चमन में कली खीली होती,
रश्क गर हो भी जाता जमानेको,
बस हमारी आंखे ही गीली होती,
आते प्रेरणा बन कलम पर मेरी,
किसीने मेरी गझल न झेली होती,
मयखाने तक न उठते कदम मेरे,
अगर आंखो की शराब पीली होती,
उम्मीद भी जग जाती 'नीर' शायद,
प्रेरणाके वास्ते गर जरा हीली होती ।
नीशीत जोशी 'नीर' 9.4.2012
ना जाने कौन से सफर का
ना जाने कौन से सफर का एक मुसाफिर बनाया मुझे,
जाना था कहीं और ये रास्तो ने बहोत भटकाया मुझे,
अंन्धे बन चलते रहे हम पथरीले वो अन्जान पथ पर,
एक आप ही थे जीस कि बातो पर ऐतबार आया मुझे,
कहानी कुछ और सोची थी कलम चली कुछ ओर ही,
हरबार उस कहानी के असल किरदार ने बदलाया मुझे,
खुद चहेरा देखने खडे रहे आयना के सामने कई बार,
रुठा होगा शायद उसी वास्ते उसने भी जुठलाया मुझे,
पूनम का चांद भी आज हसता है तेरी बेरुखी पर 'नीर',
आज खुद जल जलके शमाने परवाना सा जलाया मुझे ।
नीशीत जोशी 'नीर'
RAATBHAR
RAATBHAR KOI ITANA SATAATA HE,
KHUD KE PYAR KO MUJPE JATAATA HE,
CHHOTI CHHOTI BAATO SE RUTH JAAYE,
MAAN JAAYE TAB APANA BATAATA HE,
BARFILE BADAN PE JARA SA HAATH RAKHA,
JAHAn KE DAR SE KITNA SHARMAATA HE,
RASQ KI BAAT KAR JALAAYE VOH HAME,
HAM JARASA BOLE TO ASHK BAHAATA HE,
PAL BITAAYE AAHOSH ME LE KAR USE,
AB NEER KA DIL SHOR MACHHAATA HE.
Nishit Joshi NEER
kar diya....
kisi ki chahat ne hame itana majboor kar diya.....
dub ke pyar me hame itana magroor kar diya....
ksimat ka rona kaha hamne us khuda se aisa,
is ek gulaam ko mohabbat ka hujoor kar diya.....
kahani dekhi us paash paash hue aayana ki,
jod tukade hamane unhe mashahoor kar diya.....
na tha mumkin par pyar pe tha aitbaar itana,
milan ki gunjaaish ko hamane dastoor kar diya.....
hakikat kahi par kar nahi sakate ham kuch bhi,
kuch vaakiye ko NEER kah ke tasawoor kar diya....
Nishit Joshi 'NEER'
dub ke pyar me hame itana magroor kar diya....
ksimat ka rona kaha hamne us khuda se aisa,
is ek gulaam ko mohabbat ka hujoor kar diya.....
kahani dekhi us paash paash hue aayana ki,
jod tukade hamane unhe mashahoor kar diya.....
na tha mumkin par pyar pe tha aitbaar itana,
milan ki gunjaaish ko hamane dastoor kar diya.....
hakikat kahi par kar nahi sakate ham kuch bhi,
kuch vaakiye ko NEER kah ke tasawoor kar diya....
Nishit Joshi 'NEER'
दोनो के दरमीयां
दोनो के दरमीयां ये गुन्जाइश हो,
प्यार में न किसीकी फरमाइश हो,
शर्तो पे तो प्यार किया नही जाता,
फिर क्यों किसीकी आज्माइश हो?
इतना न इतराना खुद अदाओ पे,
शायद किसीकी अलग ख्वाइश हो,
संभाल रखना खुद प्यार को ऐसा,
सरेआम मोहब्बतकी न नुमाइश हो,
आयना देखे गर कभी मूड कर भी,
सिर्फ मोहब्बत 'नीर' की आरइश हो ।
नीशीत जोशी 'नीर'
आरइश = beauty 27.03.12
प्यार में न किसीकी फरमाइश हो,
शर्तो पे तो प्यार किया नही जाता,
फिर क्यों किसीकी आज्माइश हो?
इतना न इतराना खुद अदाओ पे,
शायद किसीकी अलग ख्वाइश हो,
संभाल रखना खुद प्यार को ऐसा,
सरेआम मोहब्बतकी न नुमाइश हो,
आयना देखे गर कभी मूड कर भी,
सिर्फ मोहब्बत 'नीर' की आरइश हो ।
नीशीत जोशी 'नीर'
आरइश = beauty 27.03.12
नवरात्रा
आयी फिर वो नवरात्रा की रात,
खेलते न थकते थे
चोक में बीताते थे
वो नवरात्रा की रात
मीले थे वहीं,
न भुला कभी,
नजरे मीलाना,
फिर शरमाना,
एक दुजे के ख्वाबो में
बीलकुल खो जाना,
आह! क्या थी वो नवरात्रा की रात,
कहां हो आज तुम,
और कहां है हम,
क्या तुम्हे याद नही,
आज भी वो नवरात्रा की रात,
एक बार फिर आ जाओ,
अब खेलेंगे नही,
गुफ्तगु में बीता देंगे,
वो नवरात्रा की रात ।
नीशीत जोशी 26.03.12
खेलते न थकते थे
चोक में बीताते थे
वो नवरात्रा की रात
मीले थे वहीं,
न भुला कभी,
नजरे मीलाना,
फिर शरमाना,
एक दुजे के ख्वाबो में
बीलकुल खो जाना,
आह! क्या थी वो नवरात्रा की रात,
कहां हो आज तुम,
और कहां है हम,
क्या तुम्हे याद नही,
आज भी वो नवरात्रा की रात,
एक बार फिर आ जाओ,
अब खेलेंगे नही,
गुफ्तगु में बीता देंगे,
वो नवरात्रा की रात ।
नीशीत जोशी 26.03.12
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