રવિવાર, 30 જૂન, 2013
વિચાર
એમ તો વિચારોનો મગજ માં ક્યાં તોટો છે?
મુજની કલ્પનાએ તુજ વિચાર ક્યાં ખોટો છે?
એવું તો નથી કે આંખોથી જ નિહાળું તુજને,
તુજ વિચાર નિહાળવા કરતા ક્યાં ઓછો છે?
છીનવી લેત જગથી,દેહથી જ જો મોહ હોત,
દેહનો પ્રેમ આત્મા સંગ કરતા ક્યાં મોટો છે?
આપેલા ઘાવો પણ સોગાત સમજી સાંચવ્યા,
પ્રેમમાં મળેલો કોઈપણ ઘાવ ક્યાં રોતો છે?
તુજ સ્વપ્ન સેવતા રાત પણ જાય છે મધુર,
જેવો પણ છે, આપણા પ્રેમનો ક્યાં જોટો છે?
નીશીત જોશી 29.06.13
अन्दर की उदासी
अन्दर की उदासी को युँह न पनपने दो यारो,
अल्फाजोको कभी शिकायत न करने दो यारो,
पनप के जीना दुस्वार कर देगा तेरी जिन्दगी,
हसने मुश्कराने, ओठो को न तरसने दो यारो,
बैठा रहेगा खामोश रह कर खुद की तन्हाई में,
जिन्दगी में आयी मुश्कराहट न भूलने दो यारो,
मुरझा जाता होगा तन्हा फूल भी उन बागो में,
गुफ्तगू से वो मुहोब्बत-ए-दास्ताँ बहने दो यारो,
कुछ पल के लिए उदास रहेना लाजमि है यारो,
फिर लब्जो को मुहोब्बत के नग्मे गाने दो यारो,
नीशीत जोशी 27.06.13
*** बारिश ***
अब बारिश से भी डर लगता है,
बुँदे देखकर भी कहर लगता है,
मुहब्बत की ये मिसाल थी कभी,
बारिश का पानी जहर लगता है,
मरघट बना दिया बाबा धाम को,
मलवो से भरा वो शहर लगता है,
चहल पहल हुआ करती थी जहाँ,
वही धाम भूतो का घर लगता है,
इतने पानी में भी लोग प्यासे रहे,
ये कलयुग का ही कहर लगता है |
नीशीत जोशी
રવિવાર, 23 જૂન, 2013
वही देगा
ज़हर जिसने दिया तो दवा भी वही देगा,
भूखे प्यासे बचने का जज्बा भी वही देगा,
साथी जो निकल चुके उस कहर के बहार,
दूसरोके प्रति आनेवाली दया भी वही देगा,
बारिस सही,पत्थर की मार को सहा तुमने,
भरोषा रख, मोक्ष का रस्ता भी वही देगा,
हिम्मत के बाँध को न टूटने देना परिक्षामें,
तुझे अव्वल लाने का फैसला भी वही देगा,
लाशो को दिखाकर के दूकान चलाने वाले,
मानव सेवा करो शायद नफ़ा भी वही देगा,
नेताओं की फितरत है लाशो की सौदाबाझी,
काले पानी से बद्दतरकी सजा भी वही देगा |
नीशीत जोशी 23.06.13
તો સમજજે નથી હું
આ કલમની સ્યાહી ખુટે તો સમજજે નથી હું,
આ વૃક્ષની ડાળીઓ પડે તો સમજજે નથી હું,
રહુ હ્રદય માહી ઝાંકી જોજે કરી નજર નીચી,
હ્રદય જો બેબાકળુ મળે તો સમજજે નથી હું,
બાગોના મહેકતા ફુલોમા સુગંધ બની પ્રસરુ,
જો સુગંધ મુરજાતી રહે તો સમજજે નથી હું,
સુરજ ની કિરણો થી થાય છે સુ-પ્રભાત રોજ,
ઉજાસ જો અંધારું બને તો સમજજે નથી હું,
શરીર ભલે બનાવ્યા સૌ કોઈના જુદા જુદા,
રુધિર નો રંગ ફરક પડે તો સમજજે નથી હું.
નીશીત જોશી 22.06.13
प्यास मछली को भी तो लगी होगी,
पिने को आब,दरिया में तरसी होगी,
निकली होगी पिया की राह में कहीं,
ढूंढते हुए मझधार तक सरकी होगी,
दिल लगाया तो कभी टूटा भी होगा,
बिच पानी आँखोंमें आयी नमी होगी,
सजाये होंगे उसने कई खाब आंखोमे ,
उसकी राते भी ख्वाबो से भरी होगी,
निकाल दिया होगा जब दिल के बाहर,
दरिया में रहने मशक़्क़त करी होगी,
मझधारमें कितनी सुकून से रही होगी,
मछली जरूर किनारे आके मरी होगी |
नीशीत जोशी
શુક્રવાર, 21 જૂન, 2013
વરસવાની પળો
ગગને આજ વાદળની ચાદર ઓઢી છે,
ગરજી ને વરસવાની વેળા જ શોધી છે,
મોર ના ટહુકા સંભળાય છે શેરીઓ માં,
દેડકાઓ એ અવાઝ થી શાંતિ તોડી છે,
માટી સુગંધ ફેલાવે છે સમીર મારફત,
ઝાડવાએ શાંત રહેવાની પ્રથા છોડી છે,
બાળકો હર્ષોલ્લાસમાં ફરે હવે નાચતા,
ખાબોચિયા ભરી રમવા જમીન ખોદી છે,
વીજળી, ડરાવી પાડે છે ફોટા સંસારના,
ડરો નહિ, વરસવાની પળો આજ મોડી છે.
નીશીત જોશી 20.06.13
यह खबर मिली
कासिद के आगमन पर यह खबर मिली,
दिलबर की रुसवाई ख़त के अन्दर मिली,
देखते न बना वो टूटे दिल का आलम भी,
हरीभरी थी ज़मी आज वो बन्झर मिली,
मातम सा होने लगा माहोल इस दिल में,
मानो जैसे कब्र तक की उसे मन्झर मिली,
वोह नातर्स से नाशाद हो गए है यहाँ सभी,
मगर वोह अदावत की बातोमें सर्वर मिली,
कम पड़ने लगी रूह की नफ़स, कफ़स में,
मौत से मानो दिल की करीबी नजर मिली |
नीशीत जोशी 19.06.13
छोड़ दिया है चाँद ने छत पे आना
छोड़ दिया है चाँद ने छत पे आना,
बंध कर रखा है तूने जब से जाना,
आफताब भी छुपा है अन्जुमन में,
इन्तजार है किसी हमसफ़र पाना,
सजदा करे सितारे रात आसमाँ में ,
नहीं डालते मुंह में कोई एक दाना.
छोड़ दिया फूलोने महकना बाग़ में,
वो बागबान भी मारते है उसे ताना,
शायद तूम भूल जाओ ये हक है तुझे,
पर दिल ने कब कहाँ किसीका माना ?
नीशीत जोशी 17.06.13
ek koshish
अब तो आ जायेंगे हमारे सजना,
होगी प्रतिक्षाए पूरी प्यारे सजना,
सज धज के करू इन्तजार तेरा,
आँखे पल पल वाट निहारे सजना,
आहट पे भूल जाऊं मैं रोटी बनाना,
तव्वे पे लगे हाथ,उड़े अंगारे,सजना,
जिस्म यहाँ,पर जान हे दर पे टिकी,
रूह एक तुझ को ही पुकारे सजना,
सब है घर में,पर एक तू ही नहीं है,
देर न करो, आ जाओ प्यारे सजना |
नीशीत जोशी
सिख लिया
आँसुओ की खातिर मुश्कुराना सिख लिया,
मुश्कराते देख उसने शरमाना सिख लिया,
बाते करने की इल्तजा को मान गए तुरंत,
गुफ्तगू करते उसने बहकाना सिख लिया,
हर रात उनके सपनों को लगे थे सजाने,
ख्वाब में आके उसने तडपाना सिख लिया,
सोचा,कभी तो बदलेगा मौसम आँखों का,
पर अदा से आँखों का बरसाना सिख लिया,
पीने की वो आदत तो पाल रखी थी हमने,
बिन पीये ही उसने लडखडाना सिख लिया |
नीशीत जोशी 15.06.13
શનિવાર, 15 જૂન, 2013
बदल जाते है
प्यार हो जाये तो मिजाज बदल जाते है,
हर गाने के सुर और साज बदल जाते है,
वोह जो करते है अपनी बुलंदी का गुरूर,
दिलबर को देखते आवाज़ बदल जाते है,
होने नहीं देते नाराज दिलबर को,क्योंकि,
रुसवा होने पर तख्तोताज बदल जाते है,
अदायगी से छुपाते है मुहोब्बत फिर भी,
खुद से छुपाते छुपाते राज़ बदल जाते है,
बेचैन खुद बने,मांगे चैन से सोने की दवा,
बिचारे तबीब के हर इलाज बदल जाते है |
नीशीत जोशी 14.06.13
पूरा समंदर पी गए
पूरा समंदर पी गए फिर भी प्यासे रह गये,
जिन्दगी जीने के बस सिर्फ बहाने रह गये,
अरमां तो था जीने का बहोत पर क्या करे,
शहर-ए-खामोशा अब मेरे ठिकाने रह गये,
आंसू की तरह निकला समंदर भी नमकीन,
मीठा होने की आश में हम किनारे रह गये,
हमसफ़र बन के साथ देना एक फ़साना रहा,
चले गये छोड़ के सब हमें,अफ़साने रह गये,
आयेगा कभी तो उजाला इन अंधेरो के बाद,
दिल को तस्सली देने सिर्फ दिलासे रह गये |
नीशीत जोशी
કવિઓ હૃદયે સીચેલા રુધિરે લખતા હોય છે
આકાશ ને જોનારા ધરા પર પડતા હોય છે,
દારુ ને પીનારા સડકો પર લથડતા હોય છે,
મારું તમારુંનાં શબ્દોથી પર જ રાખો સંબંધ,
સ્વાર્થી સ્વભાવે એ સંબંધો બગડતા હોય છે,
ટોચ પર પહોચવાની છે અપેક્ષા સૌને અહી,
ટકી રહેવા ટોચે એકબીજા ઝગડતા હોય છે,
શક્ય ન હોય તે, ખોટી વાતે રીઝાવે પ્રિયેને,
બહુ જુજ પ્રેમીઓ જ પ્રેમ માં મરતા હોય છે,
કોઈ પણ રચનામાં જીવ પુરાવો સહેલો નથી,
કવિઓ હૃદયે સીચેલા રુધિરે લખતા હોય છે .
નીશીત જોશી
રવિવાર, 9 જૂન, 2013
भरी महेफिल में हम तन्हा रह गये
भरी महेफिल में हम तन्हा रह गये,
खड़े थे वो किनारे और हम बह गये,
इल्तझा हमारी,चल दिए ठुकरा कर,
इन्तजार के हर लम्हे हम सह गये,
दास्ताँ मुहोब्बत की सुनके लगे रोने,
दर्द में अपने हर जख्म हम कह गये,
कमजोर रही होगी प्यार की इमारत,
एक एक करके सब वो पत्थर ढह गये,
आना न था तो वादा क्यों किया उसने,
कब्र तक इन्तजार करते हम रह गये |
नीशीत जोशी 08.06.13
नग्मे गा गा के रोये
एक मत्ला मैंने कही पढ़ा...और उसी मत्ले को लेकर...
कुछ लिखने की कोशिश की...
वोह मेरी दास्ता-ए- हसरत सुना सुना के रोये,
वोह मेरे आज़माने वाले मुझे आज़मा के रोये,
टूटे हुए एक खिलौनों की तरहा लेकर हाथो में,
वोह मेरे दिल को, आँखों से समंदर बहा के रोये,
मुहोब्बतकी फकीरी मेरी रास न आयी बादलोको,
बनके बारिस, ज़मी पे बुँदे टपका टपका के रोये,
बेदर्दी उन यादो ने किया ऐसा सितम पे सितम,
विरान रातो में वो सुर्क सपने सजा सजा के रोये,
अकेले थे तब जिन्दगी कट रही थी आसानी से,
अब मौत भी अपनी तन्हाई के नग्मे गा गा के रोये |
नीशीत जोशी 05.06.13
આના પર સબ્સ્ક્રાઇબ કરો:
પોસ્ટ્સ (Atom)