
उनके नाम की गझल कह जाने दो,
गुमनाम तन्हा चराग जल जाने दो,
दिल की यह कश्ती पार होगी जरूर,
समंदर का तूफ़ान जरा थम जाने दो,
बुलन्दी होती है ऊँची इमारत की तरह,
आयेंगे लौटके, इमारत ढह जाने दो,
कुदरत के करिश्मे से वाकिफ है जहाँ,
खुदा को एक चमत्कार कर जाने दो,
सांस लेना भी दुस्वार है उनके बगैर,
आज आश की सांस जरा भर जाने दो,
सुकून से जी लेंगे साथ साथ दोनों,
एकबार दर्द भरा यह पल कट जाने दो !!!!
नीशीत जोशी 06.07.13
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