શુક્રવાર, 26 જુલાઈ, 2013

तेरी सूरत

57552_1118701662_medium “ एक प्रसिध्ध कव्वाली से प्रेरित रचना “ तेरी सूरत निगाहों से हटती नहीं, दिल मचल जाए तो मैं क्या करू? तेरी वो यादे जहन में बसती रहे, दिल धड़क जाए तो मैं क्या करू? आयना ले कर फिरू, खुद चहेरा देखा करू, यादो से रंगत उड़ती रहे, दिल उछल जाए तो मैं क्या करू? तेरी धड़कन में जिन्दा रहू, हर बात में जिक्र तेरा करू, अल्फाज की तादात बढ़ती रहे, लब्ज बदल जाए तो मैं क्या करू? हर उल्फत का सामना करू, हर उन जखम पे सजदा करू, वो रूह जिस्म को छलती रहे, दिल दहल जाए तो मैं क्या करू? नीशीत जोशी 25.07.13

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